సర్వ కార్య సాధక ధ్యానం

అసాధ్య సాధక!స్వామిన్!అసాధ్యం తవ కిం వదరామదూత! కృపాసింధో!మత్కార్యం సాధయ ప్రభో!

Thursday, April 21, 2011

श्री पराशर संहिता – श्री हनुमच्चरितम् – प्रस्तावना

श्री पराशर संहिता – श्री हनुमच्चरितम् – प्रस्तावना



श्री राम जय राम जय जय राम
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम् श्रीराम राम भरताग्रज राम राम |
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम् श्रीराम राम शरनं भव राम राम ||
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ||
श्री हनुमते नमः
प्रस्तावना



श्री हनुमान जी धर्म्प्राण भारतवर्ष के आबाल वृध्द देवता हैं | हम सभी इनको स्वामिभक्ति के प्रतीक के रूप में जानते है | हम इनके विषय में जो भी जानते है उसका स्तोत्र है रामायण | यह महाकाव्य़ आदिकवि वाल्मीक के व्दारा रचा गया है | और इसी रामायण को आधार बनाकर बाद के समय में अनेक भाषाओं में इसका रुपान्तरण किया गया है | इस महाकाव्य में रघुकुल के राजा एवं दशरथ के पुत्र श्रीराम का श्री पराशर संहिताजीवनवृत्त का वर्णन दिया हुआ है |
किन्त भारतवर्ष में अधिकतर लोगों को इस रामभक्त हनुमान के अन्य आयामों के विषय में जानकारी ही नहीं है | भगवान हनुमान के जीवन के आयाम अनन्त है | वे त्रेता में श्रीराम के साथ थे | व्दापर में भी थे | और इस कलि में भी है | और आगे भी रहेंगे | और आने वाले कल्प में वही ब्रह्मा अर्थात सृष्टिकर्ता  होंगे | इस तरह अनन्त आयामों से युक्त हनुमान जी के अनेक आयामों का वर्णन महर्षि पराशर की ‘पराशसंहिता’ में उपलब्ध है |
पराशसंहिता महर्षि पराशर के व्दारा लिखी गयी है | यह पराशर एवं मैत्रेय का संवादरूप है | यह ग्रन्थ किसी समय में दक्षिणभारत में प्रचलन में था | किन्तु कालवश यह लुप्त हो गया है और कुछ लोगों के घर तक सीमित हो गया | यह अनगिनत वर्षों से ताड के पत्तों के ऊपर लिखा पडा है और इसके भिन्न-भिन्न भाग विभिन्न प्राप्तों में उपलब्ध हुआ है | इन सभी को बहुत प्रयास से डा. अन्नदानं चिदम्बरशास्त्री ने एकतत्रित किया और इसको देवनागरी लिपी में मुद्रित कराया |


by Dr Annadanam Chidambara Sastry

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